[2024] Best Sad Shayari 2 Line in Hindi | दो लाइन सैड शायरी



दोस्तों,
आज हम आपके सामने एक अनूठा संग्रह लेकर आए हैं। यह संग्रह उन लोगों के लिए है जो दुख और निराशा में डूबे हुए हैं। इस संग्रह में 100 से भी ज्यादा शायरी शामिल हैं, जो आपको अपने दुख को व्यक्त करने में मदद करेंगी।

ये शायरी उन सभी लोगों के लिए हैं जिन्होंने कभी किसी प्रियजन को खोया है, किसी महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल नहीं किया है, या किसी अन्य कारण से दुख का अनुभव किया है। ये शायरी आपको यह बताएंगी कि आप अकेले नहीं हैं, और यह कि दुख एक ऐसी चीज है जिससे हर कोई गुजरता है।

हम आशा करते हैं कि यह संग्रह आपको अपने दुख को दूर करने और आगे बढ़ने में मदद करेगा।

यहां कुछ विशेषताएं दी गई हैं जो इस संग्रह को अद्वितीय बनाती हैं:

ये शायरी नवीन और अनूठी हैं। हमने इन शायरी को विशेष रूप से उन लोगों के लिए लिखा है जो दुख का अनुभव कर रहे हैं।
ये शायरी प्रेरणादायक और प्रोत्साहन देने वाली हैं। हम चाहते हैं कि ये शायरी आपको अपने दुख को दूर करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।
ये शायरी पाठकों से जुड़ने में सक्षम हैं। हमने इन शायरी को ऐसे लिखा है जो पाठकों की भावनाओं को छू सकें।
हम आशा करते हैं कि आपको यह संग्रह पसंद आएगा।

धन्यवाद

Sad Shayari 2 Line in Hindi image
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Sad Shayari 2 Line


लगता है आज ज़िंदगी कुछ ख़फा है, चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफ़ा है...!

Sad Shayari 2 Line in Hindi image

आज फिर दर्द में डूबे हुए रोने निकले
अश्कों से आज समंदर को भिगोने निकले...

जिन रिश्तों को हम फौलाद समझ बैठे थे
वो बस कच्ची मिट्टी के खिलौने निकले...!!



मुझें मोहब्बत है उसकी सारी ख़ामियों से,
उस से बेहतर भी अगर कोई हो तो भाड़ में जाए..!



जुबां को रोको तो आँखों में झलक आता है,
ये जज्बा-ए-इश्क है जनाब इसे सब्र कहाँ आता है !



अगर मोहब्बत नही थी तो बता दिया होता,
इस दिल को टूटने से बचा लिया होता !



मुझे छोड़कर वो खुश है तो शिकायत कैसी,
अब मैं उन्हें खुश भी ना देखूं तो मोहब्बत कैसी !



हम रोशनी में बैठकर,सारी रात लिखते हैं 
उस नक़ाव में हमको,दो चिराग़ दिखते हैं
तुझको अंदाज़ा भी नहीं होगा,के मेरे बगैर
तेरे पास बैठे लोग,कितने ख़राब दिखते हैं 

sad status

ना तंग करो इतना हम सताए हुए हैं मोहब्बत का गम दिल पे उठाए हुए हैं खिलौना समझ कर हम से ना खेलो हम भी उसी खुदा के बनाए हुए हैं !!



जिस दिन से उसको बताया 
की वो सबसे खास है
उस दिन से उसके
तौर तरीके बदल गए...!!



वो हादसा होने के बाद समझ आया...
मेरी दुवाएं क़ुबूल हुई थीं...!! 



सँवर कर आईना देखा तो एक अरसे के बाद...
हमारा वो चाँद आज भी आंखों में नज़र आया...!! 



———🖤🖤——— 
हमको रोज़ी खींच लाई 
शहर के शहराओ में, 

फूल, तितली, एक लड़की 
रह गए सब गांव में, 

आज शोहरत के सफ़र में 
याद आता है वो पल, 

अपना दिल रखा था हमने 
जब किसी के पांव में...!!
———🖤🖤——— 



अकेले रहा करो मेरे दोस्तों...
लोग मोहब्बत के बहाने 
हंसी छीन लेते हैं....!!



पहुँचकर ख़ाब की दीवार पर वो दस्तक देंने लगा है...
अब और कितना मरें की वो ज़िंदा नज़र न आए हमको...!! 



अब तो ज़श्न की बातों पर भी चिढ़ जाते हैं हम...
कभी चिढ़नें की बात पर भी ज़श्न मनाए हैं हमनें...!! 



—————🖤🖤————— 
दबे पांव कुछ यादें गुज़री, रातों की तनहाई से
कितने सपने जल उठे तेरे हसीन ख्याल से

हर सांस किसी सन्नाटे से एक गाथा कहती हैं
अधूरी बातें चुपके से दिल को थपकी देती है

कितनी सांसें बाहर भीतर नित्य हलाहल पीती है
कितनी बातें व्याकुल हो घुट घुट कर जीती है

चट्टानों को चीरती नदी, तेरी याद दिलाती है
चांद की उजली चांदनी, मुझे तुझसे मिलाती है

मन उन्मुक्त तितली सा अनन्त आकाश में उड़ता है
तुझे देखे बगैर ना जाने क्यों ह्रदय व्यथित रहता है

अब कैसे और कया कहूं तुझसे ये सम्मोहन राग
अनुराग भरा उन्माद राग, गाता प्राणों का तार तार...!!
—————🖤🖤————— 



किस जरूरत को दबाऊं 
किसे पुरा कर लूं...
अपनी तनख्वाह कई बार गिनी है मैंने...!!



भरोसे के पुल सियासतदानों से मेल खाते हैं...
सरकार बदली तो अक्सर पुल टूट जाते हैं...!! 



झुके हुए सर हमेशा ग़लत नहीं होते... 
ग़ुरबत, रिश्ता और इश्क़ भी है जहान में...!! 



कभी कभी मन को मना लेना ही
बेहतर होता है.....
हर ज़िद हमें खुशी नहीं देती...!!



शरीफ़ लोग... डरे डरे रहें तो ही ठीक है...
वरना तो शराफ़त रह कहाँ जाएगी जहाँ में...!! 



सूचना हमें भी दी गई कि अब मौसम बदल गया...
चिट्ठी वाले से कह दिया, हमें पहले से ख़बर है...!! 



साँसे रोककर कर रहा था उसके आनें का इंतज़ार...
अब तो ना कहो कि उसे मौत का डर था...!! 



रोज़ वो ख्वाब में आते हैं गले मिलने को...
मैं जो सोता हूं तो
जाग उठती है किस्मत मेरी....!!



निकल भी जाएँ मेरे घर से ये छत, दर-ओ-दीवार अगर...
मगर इन लोगों की आदत मुझसे कैसे निकलेगी...!! 



इंतेज़ार करने का....  दुनियाँ में गर.... कोई पैमाना होता....
हर एक दिन उसके इंतेज़ार में... सदियों की तरह साबित मैं कर देता.... 



वो शीशा भी तोड़कर..... फेंक दिया हमनें...
मेरे ज़हन में बैठा उसका चेहरा...... बार बार उसी शीशे में नज़र आता था मुझे.... 



—————🖤🖤—————
जब तक तुम 
किसी कविता जैसी लड़की से नहीं मिलोगे

तुम्हें विश्वास होगा भी नहीं
कि कई खंडों में बंँटा
यस उपन्यास सा जीवन

दो चार पंक्तियों में भी
समेटा जा सकता है....!!
—————🖤🖤—————



हिसाब किताब सिर्फ
ऊपर वाले ने ही सही लगाया

सब को खाली हाथ भेजा
और खाली हाथ बुलाया....!!



तु जिम्मेदार है मेरी उदास आंखों का...
तु मान ले यार 
तुझसे मेरी हिफाजत ना हुईं...!!



बहुत अमीर है उसका नया यार.....
मेरी मोहब्बत खरीद ली उसने...!!



एक उम्र गुजारी है तबाह होने में....
अब खुद को संवारा तो मर जाऊंगा...!!



सबसे पहले तो नज़रों से शुरू हुई थी जादुई बातचीत...
ख़राबी तब हुई जब लब्जो का इस्तेमाल ज़्यादा हुआ...!! 



जो बिछड़ने का दर्द जानते हैं....

वो साथ बैठें परिंदों को भी 
उड़ाया नहीं करते...!!



तुम नज़रिये की बात मत किया करो...
चीथड़ों से जुड़े रहनें की बात नहीं सुनते...!! 



———🖤🖤———
कभी दिन में नींद न आती है...
कभी रात रात जग काटी है...

कभी नई सुबह की चाहत है...
कभी रोज़ लगे बासी दिन है...

कभी इश्क़ बहुत मतवाल था...
कभी इश्क़ ज़हर का प्याला है...

कभी घर का खाना बुरा लगे...
कभी उसी स्वाद की दुआ करें...

कभी ज़िस्म ही सारी ख़ूबी थी...
कभी जिस्म नहीं मज़बूरी थी...

कभी दौलत पर सारी बात रुके...
कभी दौलत को घर बार बिके...

कभी ये कभी वो... कभी हाँ कभी ना...
कभी उम्र नहीं कोई मसअला था... कभी उम्र ही पूरा मसअला है...!! 
———🖤🖤————



चमन से लौट कर आए जुबां खुशबू की बोलेंगे
कहीं पर बैठ फुरसत में कलेजा अपना खोलेंगे...

रहे मसरूफ कुछ दिन तो फिजा बेरंग हो बैठी
अभी है वक्त हम फिर से हवा में इश्क घोलेंगे...!!



मुश्किलें आएंगी मगर याद रखना है...
चौराहों से डरकर लौट नहीं आना होता...!! 



नहीं अकेले में रोए अगर तो रोकर देखो...
याद करोगे कि एक दफ़ा रोया था लाजवाब...!! 



———🖤🖤——— 
ज़रा सोचो.....

ये उदासी 
कितनी गहराई में
उतरी होगी उनमें

जो दीवाली पर भी
उदास घुमाते हैं...!!
———🖤🖤——— 



आज शाम हमारे ज़हन नें फ़िर से... तमाशा शुरू किया...
मजबूरन...  मयख़ाने की ओर लौटना पड़ा हमें.














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